एक महिला को एक ही समय में चार पुरुषों से शादी करने का अधिकार क्यों नहीं है, जैसा कि एक पुरुष को है?

एक बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु जिसे आधुनिक समाज में अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है, वह अधिकार है, जो इस्लाम ने महिलाओं को दिया है और पुरुषों को नहीं दिया है। एक पुरुष की शादी केवल अविवाहित महिलाओं तक ही सीमित है। जबकि एक महिला अविवाहित या विवाहित पुरुष से शादी कर सकती है। यह बच्चों के वास्तविक पिता के वंश को सुनिश्चित रखने और बच्चों के अधिकारों और उनके पिता से वरासत की रक्षा के लिए है। इस्लाम एक महिला को एक विवाहित पुरुष से शादी करने की अनुमति देता है, जब तक कि उसकी चार से कम पत्नियाँ हों, अगर न्याय और क्षमता की शर्त पूरी होती हो। इसलिए महिलाओं के पास पुरुषों में से चुनने के लिए अधिक विकल्प हैं। इसी प्रकार उसके पास दूसरी पत्नी के साथ होने वाले व्यवहार को जानने का अवसर भी है, ताकि वह शादी करने से पहले इस पति के चरित्र को अच्छी तरह जान सके।

भले ही हम विज्ञान के विकास के साथ डीएनए की जांच कर बच्चों के अधिकार के संरक्षण की संभावना को स्वीकार करें, परन्तु बच्चों का क्या दोष है कि जब वे बाहर संसार में आएं और अपनी माँ को अपने पिता से इस परीक्षा के माध्यम से मिलाते हुए पाएं? अगर ऐसा होता है, तो उनकी मनोदशा क्या होगी? फिर एक महिला इस अस्थिर मिजाज के साथ, जो उसके पास है, चार पुरुषों की पत्नी की भूमिका कैसे निभा सकती है? इसके अलावा एक ही समय में एक से अधिक पुरुषों के साथ उसके संबंध के कारण होने वाली बीमारियाँ अलग हैं।

PDF

Wait a moment

AI Chatbot
Offline