क्या इस्लाम आत्मघाती हमलों की अनुमति देता है और उनके बदले में जन्नत में हूर मिलने की बात करता है?

यह अतार्किक है कि जीवन देने वाला, जिसे जीवन दिया गया है, उसे आदेश दे कि वह अपना या किसी निर्दोष का जीवन बिना किसी अपराध के ले ले। वह तो कहता है : ''अपने आपकी हत्या मत करो।'' [166] इसके अलावा और भी आयतें हैं, जो बिना किसी कारण, मसलन क़िसास एवं आत्म रक्षा आदि के, किसी की हत्या से रोकती हैं। केवल हूर प्राप्त करने की संकीर्ण सोच में जन्नत की नेमतों को सीमित नहीं करना चाहिए। जन्नत में ऐसी ऐसी नेमतें हैं, जिन्हें न किसी आँख ने देखा है, जिनके बारे न किसी कान ने सुना है और न जिनका ख़याल किसी मनुष्य के दिल में आया है। [सूरा अन-निसा : 29]

आज के युवाओं का आर्थिक परिस्थितियों से दोचार होना और उन भौतिक चीजों को प्राप्त करने में असमर्थ होना, जो उन्हें शादी करने में मदद करें, उन्हें इन घृणित कृत्यों के प्रचारकों के लिए आसान शिकार बना देता है। खासतौर पर किसी लत के शिकार और मानसिक बीमारी से ग्रस्त लोग। यदि इन घृणित कृत्यों के प्रचारक सच्चे होते, तो नौजवानों को इस मिशन पर भेजने से पहले खुद अपने आपसे इसकी शुरूआत करते।

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