प्राकृतिक चयन के सिद्धांत पर इस्लाम की क्या राय है? Atheism A Giant Leap of Faith. Dr. Raida Jarrar

डार्विन के कुछ अनुयायी, जो प्राकृतिक चयन (एक तर्कहीन भौतिक प्रक्रिया) को एक अनूठा रचनात्मक शक्ति मानते थे, जो बिना किसी वास्तविक प्रायोगिक आधार के सभी कठिन विकासवादी समस्याओं को हल करती है। बाद में उन्होंने जीवाणु कोशिकाओं की संरचना और कार्य में डिजाइन की जटिलता की खोज की। उन्होंने "स्मार्ट" बैक्टीरिया, "माइक्रोबियल इंटेलिजेंस", "निर्णय की रचना" और "समस्या को सुलझाने वाले बैक्टीरिया" जैसे वाक्यांशों का उपयोग करना शुरू कर दिया। इस तरह बैक्टीरिया उनका नया भगवान बन गया। [104]

सृष्टिकर्ता ने अपनी पुस्तक में तथा अपने रसूल की ज़ुबान में यह स्पष्ट किया है कि स्मार्ट बैक्टीरिया के साथ जिन कार्यों का संबंध जोड़ा जाता है, वे वास्तव में संसारों के रब के कार्य हैं, जो उसके ज्ञान और इच्छा के अनुसार सम्पन्न होते हैं।

"अल्लाह ही प्रत्येक वस्तु का पैदा करने वाला तथा वही प्रत्येक वस्तु का रक्षक है।" [105] [सूरा अल-ज़ुमर : 62]

''जिसने ऊपर-तले सात आकाश बनाए। तुम अत्यंत दयावान् की रचना में कोई असंगति नहीं देखोगे। फिर पुनः देखो, क्या तुम्हें कोई दरार दिखाई देता है?'' [106] [सूरा अल-मुल्क : 3]

एक अन्य स्थान में फ़रमाया है :

"निःसंदेह हमने प्रत्येक वस्तु को एक अनुमान के साथ पैदा किया है।" [107] वैज्ञानिक एक सृष्टिकर्ता के अस्तित्व में विश्वास और धर्म की धारणा से बचने के व्यर्थ प्रयासों में सृष्टिकर्ता को अन्य नामों से संदर्भित करते हैं। मसलन माँ प्रकृति, ब्रह्मांड के नियम, प्राकृतिक चयन "डार्विन का सिद्धांत" आदि।

[सूरा अल-क़मर : 49] हम पाते हैं कि डिजाइन, फाइन-ट्यूनिंग, गुप्त भाषा (code language), तीक्ष्नता, आशय (नीयत), जटिल प्रणाली, परस्पर जुड़े कानून, आदि ऐसे शब्द हैं, नास्तिक जिनका स्रोत बेतरतीबी और संयोग को क़रार देते हैं, हालांकि वे इसे कभी स्वीकार नहीं करते हैं।

''वास्तव में, ये कुछ केवल नाम हैं, जो तुमने तथा तुम्हारे पूर्वजों ने रख लिये हैं। अल्लाह ने इनका कोई प्रमाण नहीं उतारा है। वे केवल अनुमान तथा अपनी मनमानी पर चल रहे हैं। जबकि उनके पास उनके पालनहार की ओर से मार्गदर्शन आ चुका है।'' [108] अल्लाह के अतिरिक्त कोई दूसरा नाम प्रयोग करना, उसके कुछ परम गुणों को छीन लेता है और अधिक प्रश्न उठाता है। उदाहरण स्वरूप :

[सूरा अल-नज्म : 23]

अल्लाह के ज़िक्र से बचने के लिए, सार्वभौमिक कानूनों और जटिल परस्पर जुड़ी प्रणालियों के निर्माण का श्रेय यादृच्छिक प्रकृति को दिया जाता है, और मनुष्य की दृष्टि और बुद्धि को एक अंधी और मूर्ख बुनियाद की ओर लौटाया जाता है।

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